तनख्वा लड़ नहीं पाती अब महीने से


तनख्वा लड़ नहीं पाती अब महीने से
दाल के दाने लगने लगे हैं नगीने से

जहर पीने की हिम्मत जब करू
घर की याद रोक देती हैं जहर पीने से

जो लुट रही हैं दौलत
वो निकली हैं जनता के पसीने से

जलेगी भ्रष्टाचार की लंका
की अब सबक ली हैं बाबा के अंदाज़-ए-जीने से

कोई युवराज न सिखाए पाठ देशभक्ति का
लगाए रखते हैं हर वक़्त भारत माँ को सीने से

: शशिप्रकाश सैनी

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