सवाल करता बहोत देता उसे कोई जवाब नहीं





सवाल करता बहोत देता उसे कोई जवाब नहीं
पढ़े कैसे वो दुनिया ने दी उसे कोई किताब नहीं

स्कूल की खिडकियों पे लगाए कान सुनता हैं
अगर अन्दर पनपते फूल क्या वो गुलाब नहीं

जूठे बर्तन धोते हुए पूरा बचपन बिताता हैं
लोग अब भी कहते दुनिया इतनी ख़राब नहीं

मिलती उसे पूरी रोटी नहीं भूखा सोता हैं वो
जब पेट करे आवाज़ रातो को आते ख्वाब नहीं

जरा से दर्द पे छलक जाती हैं आंखे "सैनी"
वो तो बच्चे हैं उनके गमो का कोई हिसाब नहीं

:शशिप्रकाश सैनी


//मेरा पहला काव्य संग्रह
सामर्थ्य
यहाँ Free ebook में उपलब्ध 

Comments

  1. //मिलती उसे पूरी रोटी नहीं भूखा सोता है वो
    जब पेट करे आवाज़ रातो को आते ख्वाब नहीं
    Bahut marmik rachna sirji.. bahut khoob..

    kabhi waqt mile to mere blog par bhi aaiyega.. aashaa karta hun ki aapko pasand aayega.. :)

    palchhin-aditya.blogspot.com

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

इंसान रहने दो, वोटो में न गिनो

रानी घमंडी

मै फिर आऊंगा