गर आसुओं को अपने पत्थर बना लेते
गर आसुओं को अपने पत्थर बना लेते
जान लिजिए जिंदगी बदत्तर बना लेते
कहते नहीं सुनते नहीं दुनिया में घुलते नहीं
क्या उसकी याद में खुद को खंडहर बना लेते
दिन निकला रोशनी के साथ रात आई चाँदनी ले कर
छोडकर पुराने किस्से किसी एक को दिलबर बना लेते
उड़ने की आरजू थी डूबने का जज्बा था
ख्वाबो को कभी पर कभी समंदर बना लेते
गर घर बसाओगे तो उजड़ जाएगा "सैनी"
चलो सराय कम से कम सुन्दर बना लेते
: शशिप्रकाश सैनी
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