आंसुओ से हारा




कभी दर्द से भीगे रहे
कभी जिल्लतो ने धोया
क्या सोचू कितना सोच
कब टूटा कितना टूटा
क्या क्या मैंने खोया

कभी आंसुओ से हारा हारा
कोई दिल का ना सहारा
हरदम जिसके गम में था
वो एक कतार भी न रोया
क्या सोचू कितना सोच
क्या क्या मैंने खोया

मुझको दे दवा कोई
दे तू दे दुआ कोई
दर्द दाग सब दामन से
वो मिट जाए मेरे मन से

ऐ खुदा सुन इल्तजा
यादे उसकी लेते जा
पल भर की जो गलती थी
बरसों फिर क्यों रोना था
क्यों आंसुओ भिगोना था


मौसम ने हौले से कहा
तुफा भी अब निकाल चला
सूरज भी आ रहा है जी  
रोशन होने लगी धारा

मौसम ने हौले से कहा
पर पर पर फड़फड़ाइए
आँखों आँसू ना लाइए
जीवन है जीने के लिए
उड़ उड़ उड़ते जाइए

चोटों को गिनेंगे
और रखेंगे टूटे परो का हिसाब
तो कब उड़इएगा जनाब

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