Love Marriage ya Arranged Marriage
आँगन में खेलते बच्चे बड़े
हो गए
स्वप्न शादी के खड़े हो गए
एक बंधन सात फेरे
दिल-ए-ज़ज्बात ठहरे
ये घोड़ी पे आएगा
वो डोली में जाएगी
ढूँढना दुल्हा ढूंढानी
दुल्हन
नाते रिश्ते घरवालो ने छेड
दी मंथन
वधु के लिए वर
वर को वधु
आया मौसम शादी का
घर घर में जुस्तजू
खुशियाँ हो जाए अरंजे
बिटियां डोली में जाए
हँसे खिल खिलाएं
बात उसी से बढ़ाए जो दुल्हन
चाहे
धन लोभियो से रहे सावधान
खरीद फरोख्त न करे
बिटिया को बनाए न सामान
आसान जिंदगी रहे मुश्किल न
करे
गर प्यार से पनपेगा पौधा
तो पेड़ हो जाएगा
हवाओँ में झूमेगा
हर वक्त खिल खिलाएगा
जिंदगी की बरसात झेल लेगा
फूल देगा
जूझेगा मौसम से
बढेगा
जब प्यार नीव में भरेगी
ये ईमारत कई मौसमों चलेगी
बंधन मैरिज का हो
प्यार के सहारे
ऐतबार के सहारे
आप भी रहे खुश
घर को भी न करे उदास
लव हो जाए अरेंज
कुछ यो हो छमता
पापा का प्यार रहे
रहे माँ की ममता
अपनों में रहे अपनों से न
हो दूर कभी
प्यार ताकत रहे न हो मजबूर
कभी
प्यार दीवारे घर की छत हो
जाए
खुदा से मंगाते बन्दों को न
दे गरूर कभी
: शशिप्रकाश सैनी
This is my entry to the Contest
Love Marriage ya Arranged Marriage
अच्छा है
ReplyDeleteLoved it :)
ReplyDeleteNice poem with good message. Finally thats what matters.
ReplyDeleteThnx Madhaw, Akanksha and TF
ReplyDeleteexcellent weaving into poetry. just superb.
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