हिस्से मेरे इंतज़ार रखा है
हिस्से
हिस्से मेरे
इंतज़ार
रखा है
ठोकर
ठोकर खाई मैंने
पत्थर
होने वालो से
पीठ
मेरी ही जख्मी है बस
सीने
है वार नहीं
दिल
को तब से
मार
रखा है
हिस्से
हिस्से मेरे
इंतज़ार
रखा है
शीशा
शीशा दिल मेरा
मै
दिल से मजबूर हुआ
उसका
था जी पत्थर सब
मारे
टुकड़े चूर हुआ
दिल
को तब से
मार
रखा है
हिस्से
हिस्से मेरे
इंतज़ार
रखा है
समझे
दिल को दिल ही जी
समझे
कोई सामान नहीं
ऐसी
उस दिलवाली का
कब
से करता इंतज़ार यही
दिल
में जिसके
प्यार
रखा है
हिस्से
हिस्से मेरे
इंतज़ार
रखा है
:
शशिप्रकाश सैनी
awesome sir ,its a beautiful creation
ReplyDeleteदिल में जिसके
प्यार रखा है
हिस्से हिस्से मेरे
इंतज़ार रखा है ....i loved these lines the most
Superbly written!
ReplyDeleteधन्यवाद रचना जी
DeleteVery nicely written.
ReplyDeleteधन्यवाद सब्यसाची जी
Deleteधन्यवाद विजय जी
ReplyDelete