दोहे जन्माष्टमी

टूटीं जी मटकी मिली , आया माखन चोर
माखन सब ये खा गया , दुख हर ले घनघोर 




















यमुना में आतंक बन , घुसा कलियाँ नाग
कान्हा पैरों जब पड़ा, बुझी जहर की आग


कान्हा की सुन बासुरी, राधा दौड़ीं आए
प्रेम रहे निर्छल जहाँ, राधा कृष्ण हो जाए



मामा कंश ना होइए, करो ना अत्याचार

ग्वाला जब कान्हा बने, कर देगा संहार






मोहना देत उपदेश , गीता का रहे पथ
अर्जुन शस्त्र उठाइए, धर्म पड़ा लथपथ



: शशिप्रकाश सैनी 




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Comments

  1. Are those personal pictures? Wonderful write~

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    Replies
    1. thnx Ghazala ji
      these snaps i took during Janmashtami celebratons in Our Management Hostel,BHU

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  2. बढ़िया दोहे...सामायिक भी...अर्थपूर्ण तो हैं ही...

    अनु

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