हर शख्स नया है
नया दिन है, शख्सियत नयी है
जिस से मिले थे कल
ये शख्स वो नहीं है,
कोई भले से बुरा
कोई बुरे से भला हो जाता है,
देखिए एक रात में
क्या से क्या हो जाता है.
बरसात भिगोती है
हवा के थपेड़े नया आकार देते
है,
हर बदलते लम्हें के साथ
बदल जाता है,
जिस राह से गुजरता है
उसकी हो जाता है,
नये दिन के साथ
हर शख्स नया हो जाता है.
बदलते वक्त के साथ ढलना
होगा
समय की रफ़्तार तेज है
उसी रफ्ताए से चलना होगा,
गर रफ्तार नहीं बढ़ा पाएँगे
तो पीछे छूट जाएँगे,
दुनिया बदल जाएगी
जानने वालो में कोई ना बचा
होगा
हर शख्स दूसरा होगा.
समय देखिए
सागर निगल जाता है,
पहाड़ पहाड़ नहीं रहते
नदी के रास्ते बदल देता है.
ख्वाबो में जिएंगे
तो ख्वाब ही मिलेंगे,
जिस दिन ये नींद टूटेगी
बहोत चुभेगी,
ख्वाबो से निकले
हकिकात में जिए,
समझे ! कि नादान जिससे समझे
वो अब नादान नहीं है,
न बदले तो थपेड़े झेले कैसे
नादान बन जीना आसान नहीं है,
नादान जिससे समझे
वो अब नादान नहीं है.
: शशिप्रकाश सैनी
वाह.....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना....
अनु
Shashi kuch khaas nahin badla - kal jitne saksham kavi that aaj bhi wohi hai :)
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