मुझे बेनाम रहने दो




मुझे पुकारो ना, बुलाओ भी नहीं,
मर्जी से छोड़ी दुनिया
पीछे आओ भी नहीं.

सूरज धधका जब,
पेडों की छाव में जिए,
मंजिल दूर रही
हम पड़ावो में जिए.
बेनाम यहाँ मैं शख्स हूँ,
हर शख्स यहाँ अनजान
किसी ने ए ओ यू कहा,
किसी ने थोड़ी इज्ज़त दी
श्रीमान कहा.

रोटी ना पूछे नाम मेरा
पत्थर ना पूछे नाम,
ऊपर वाला बेनाम हुआ
निचे सब बेनाम.

पहाड़ देखता हूँ,
देखता हूँ नदी
घाटियाँ पूरी फूलो से लदी,
जब भी कुदरत में खोया
लोगो में सैलानी हुआ.

ठंड बरसात धूप से जला हूँ
तुफानो से लड़ा हूँ,
इस किरदार में योद्धा हूँ.

जब भी जिंदगी ने जो किरदार दिया
मैंने बखूबी जिया,
अपनी असलियत भुलाने के लिए,
दिन-ब-दिन नये किरदार जिए
जो रंगमंच, मुझे जानने लगता हैं
मै नाता तोड़ देता हूँ
मंच छोड़ देता हूँ.

अब ये पड़ाव छोड़ना होगा,
लोग मुझे यहाँ जानने लगे हैं,
कोई नाम दे देंगे.
बेडियां जात धर्म की पैरों में,
नाम की तख्ती होगी
गले मेरे भी लटकती होगी.

मेरे किरदारों से खुश हो
कोई नाम न दो
मुझे बेनाम रहने दो.
बड़ी मुश्किल से छुड़ाई हैं तख्ती
नाम, जात, धर्म, हैसियत की.
लकीरों में फकीरी लाने में
बड़ी मेहनत लगी पहचान मिटाने में.

बरसों खुद से बात न की,
मन को पुकारा नहीं.
दिन-ब-दिन किरदार, किरदार
किरदार मैं करता गया
बेनाम होना था,
ये चाह थी
नाम अपना यू भूल जाए
कल कोई पुकारे भी
तो खुद को याद ना आए.

दुनिया के रंगमंच पे
नये किरदार जीने,
बदलते रहते हैं पड़ाव
महीने-दर-महीने.
मुझे जानते हैं
मेरी शक्ल,
मेरी आवाज पहचानते हैं
तू तड़ाक में करे बात
या श्रीमान कहे,
पर मेरा नाम ना ले
मुझे गुलाम ना करे.
बहुत मुश्किल से लोग कमाते हैं नाम
मैंने बड़ी मेहनत से गवाया हैं.
मन मौजी सख्सियत मेरी
मौजी मेरा साया हैं
नाम मुश्किल से गवाया हैं.


: शशिप्रकाश सैनी


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Comments

  1. बहुत बढ़िया....
    .......................जी
    :-) नाम में क्या रखा है...

    अनु

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  2. बहुत खूब कहा शशि जी , दुनिया हमे बांध देती है तरह तरह क नियमों से, कायदे और अपने ऊल जलूल तरीकों से। वाकई में मन करता है कहीं दूर चले जाएँ। आपकी कविता ने एक बार फिर मन को झंझोड़ दिया। बहुत सुन्दर कल्पना है।

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपको मेरी कल्पना पसंद आई
      धन्यवाद आयुषी जी

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  3. Very nice Shashi. But, despite of all these issues, must we not need identity?

    ReplyDelete
    Replies
    1. आप की बात सही है
      कवी की कल्पना किस राह ले जाए मै कह नहीं सकता
      बस चल देता हूँ
      कविता आपको पसंद आई
      इस के लिए धन्यवाद

      Delete

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