रूपया रोए रूंदन राग
रूपया रोए रूंदन राग
सत्ता सुनना चाहे ना
डालर में कुर्सी हैं गाती
आम ही जनता रूपया पाती
क्या बच पाए क्या घर लाती
कोयले का काला चिट्ठा जब
मन करता था खट्टा सब
2 जी 3 जी सारे जी जी
दस्तावेज पचाना कितना इजी
जब करती रखवाली कुर्सी
खाद्य सुरक्षा मायाजाल
माया इनको जाल हमें
कर देंगे कंगाल हमें
फिर कर्जा ये सर पे डाले
दस बोरी में चार निवाले
साठ साल से वाद दे
न एक रूपईया ज्यादा दे
गर भुख मिटेगी कपड़े होंगे
शिक्षा स्वास्थ्य सड़क मांगेंगे
न जाने कितने लफड़े होंगे
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