अरमान दिल घुले भी कही हम पिघल न जाये
अब हाथ ना लगाओ कही आग जल न जाये
अरमान दिल घुले भी कही हम पिघल न जाये
रहते सुस्त कब तक तुम रफ़्तार तो बढाओ
कब तक चलोगे धीमे फुरसत निकल न जाये
दुनिया बहुत हैं शातिर सब खेल जानती हैं
अब तो नजर उठाओ कही ख्वाब छल न जाये
दिल में इश्क़ छुपा जो उसको जुबाँ पे लाओ
कही लफ्ज ढाई कहते उम्र ढल न जाये
जब होश मय का तारी सारा बयाँ बताओ
नशा कम हुआ तो "सैनी" संभल न जाये
: शशिप्रकाश सैनी
Comments
Post a Comment