लमही के नवाब "मुंशी प्रेमचंद"



लमही के नवाब 
जन्मे इकतीस जुलाई १८८०
धनपत राय 
हिंदी जगत में हिरा नायाब 

'रंगभूमि' 'कर्मभूमि' 'गबन' 'गोदान' 
हिन्दी साहित्य को 
मुंशी प्रेमचंद ईश्वरीय 'वरदान'
कठिन शब्दों से दूर रखा
सरल भाषा में 'कायाकल्प' दिया
'प्रतिज्ञा' 'बेवा' 'निर्मला'
लिख हमें कृतज्ञ किया

'पंच परमेश्वर' 'सज्जनता का दंड' 
'दुर्गा का मंदिर' 'ईश्वरीय न्याय'
कलम जब भी चली 
बस मोतिया बरसाए 

जो पढ़ लेता हैं कहानियाँ आपकी 
शब्द चले आते हैं पहन 
तस्वीर का चोगा
'गुप्त धन' 'पूस की रात' 
'नमक का दरोगा' 

'दुनिया के सबसे अनमोल रतन' 
'उपदेश' 'बलिदान' 'बेटी का धन'
'सेवा सदन'
'बूढी काकी' 'पुत्र प्रेम' 
'लौटरी' 'नशा' 'कफ़न'

'अदीब की इज्ज़त' 
'बड़े भाई साहब'
'प्रेमा' 'किसना' 'रोतीं रानी' 
'परीक्षा' 'अग्नि समाधी' 'प्रायश्चित'

'ढाई सेर गेहू'
'दो बैलो की कथा' 
'उधार की गाड़ी'
'सवा सेर गेहू' 
'सुहाग की साडी'


'सतरंज के खिलाडी'
'ठाकुर का कौन' 
'दरोगा साहब' 'भाड़े का  टट्टू' 
'मजदूर' 'आत्माराम' 'आभूषण' 'चोरी' 
'वज्रपात' 'जुलूस' 'जुरमाना' 'जेल'
'मुक्ति मार्ग' 'सत्याग्रह' 'निजात'

'त्रिया चरित्र' 'सौतेली माँ'
'हार की जीत' 'गुरुमंत्र'
'वज्रपात' 'विमाता'
'मनुष्य का परम धर्म' 
'मर्यादा की वेदी'
'प्रायश्चित्त' 'निमंत्रण'
'पशु से मनुष्य'

मुंशी प्रेम चंद 
'चाँदी की डिबिया'
साहित्य की चमक 
हिंदी की रौशनी
जन्मदिन पे सत सत नमन करूँ
मैं कलम छोटी सी

: शशिप्रकाश सैनी


//मेरा पहला काव्य संग्रह
सामर्थ्य
यहाँ Free ebook में उपलब्ध 

Comments

  1. I have read a few, very few no of stories, including gaban, godaan and few short stories, truly deserved accolades.

    ReplyDelete
  2. आभार डॉक्टर साहिबा

    ReplyDelete
  3. wah,aapne kavita mein Munshi Premchand ki rachnaon ko bakhubi piroya hai. Woh ek mahan lekhak the.

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

इंसान रहने दो, वोटो में न गिनो

रानी घमंडी

मै फिर आऊंगा