दोष किसका

ये कविता मैंने २००१ गुजरात भूकंप के बाद लिखी थी


मृत्यु का तांडव
ठिठुरा हुआ मानव
भूमि का कंपन
विनाश हुआ संपन्न

हर शहर हर गली
हर घर में बैठा महाकाल

दिया किसने निमंत्रण
तू किसके विचारों के सडन
तू छीनता क्यों जीवन

पल पल प्रति छण आते शव
तू कौन सा है दानव

छाया अस्मा पे गहरा अंधकार
डरा हुआ छोटा बड़ा हर अकार
सहमा हुआ है हर विचार

तुझे कौन लाया यहाँदोष किसका
किसकी शरारत थी
किसकी हिमाकत थी

तू ही बोल दोष किसका
नर का या नारायण का

महाकाल :
नारायण ने किया शुरू
पर दोष नर का ही रहा
उसका लालच कही न ठहरा
घाव किया गहरे से गहरा
तू ही बोल दोष किसका

: शशिप्रकाश सैनी

Comments

Popular posts from this blog

इंसान रहने दो, वोटो में न गिनो

रानी घमंडी

मै फिर आऊंगा