लिखने का मिला हुक्म



न आई रास मोहब्बत
न आई पास मोहब्बत
खुदा से लिखने का मिला हुक्म
रही नाराज मोहब्बत
उसकी जुल्फों में उलझ जाते
तो लिख पाते भी कैसे
निगाहों में उनकी गर डूब जाते
कैसे होती कविता
शब्द कहा से आते
मौसम-ए-मोहब्बत सर्द रहा
गर्माहट जिंदगी वाली
कोई ले के नहीं आई
हल्के में लेती रही जिंदगी
न देखी मेरे शब्दों की गहराई
शेर मुक्तक ग़ज़ल दोहे लिखूंगा
जो जी में आएगा उस पे लिखूंगा
कुछ लिखते है इश्क होने के बाद
कुछ लिखते है टूटा जिगर ले के
मैंने बस ये कोशिश की
जिंदगी की खाली जगह
कविताओ से भरी

: शशिप्रकाश सैनी

Comments

  1. Very nicely written....which medium do you use for hindi typing?

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