मेरी वफ़ा होके देखो
तुम खफा खिडकीयों में रही
और इल्जाम लगातीं रही
कोई चाहता नहीं
हां हां की है मैंने
पुकारा है तुझे
हाथ बढ़ाया है
जिंदगी बहोत तुने खफा हो के
देखी
चल मेरे साथ ले हाथ पकड़
अब की मेरी वफ़ा हो के देखो
रात तू रात रहेगी कब तक
मानता हू चाँद है सितारे है
कुछ जुगनू भी है
अंधेरे से जुस्तजू है
आखिर किसकी तू है
जो इस पहर है
उस पहर की हिम्मत नहीं रखते
अंधेरा भाता उन्हें
जो रौशनी की कीमत नहीं रखते
तेरी आश में इतना जला हू
की सूरज हुआ हू
चल मेरी सुबह होके देखो
कोई फकीरी नहीं हू मै
की अब की आया हू
तो हर बार आऊंगा
तू नूर-ए-जिंदगी लगी
धड़कनें कहने लगी
चल मेरे जीने की वजह हो के
देखो
न पर है मेरे न कोई कुवर हू
मै
चाँद सितारे तोड़ दू न ऐसा
हुनर हू मै
मै कोई ख्वाबो का शहजादा
नहीं
हकीकत हू मै
आज जो शहजादा है कल बादशाह
होगा
जिसके दीदार को तरसते हज़ार
उसके तो हरम है
इश्क मोहब्बत उसकी दुनिया
में भरम है
उसके तो हरम है
मै कोई ख्वाब नहीं
न चांदी का चम्च मुह में
कोई
मै हकीकत हू
मै पड़ावो का आदमी नहीं
मुझे मंजिल की तलाश
जिनकी फिराक में खुराक भरी
है
वो शिकारी है शिकार न बनो
मेरी सासों में घुलो
दिल में धड़को तो सही
जिंदगी कुछ इस तरह हो के
देखो
: शशिप्रकाश सैनी
नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ
ReplyDelete---
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आपको विजय दशमी की हार्दिक शुभेच्छा
DeleteBahut hi badhiya !!!
ReplyDeleteHappy Blogging !