मेरी कहानी कविता की जुबानी (Wrote for About me)
उत्तरप्रदेश के जौनपुर में
जन्मा
महाराष्ट्र के पनवेल में
पला,
उसी इलाके से पढ़ा
पांचवीं क्लास से शब्दों से
खेला,
स्पोर्ट्स में फेल रहा
अपनी पीढ़ी से थोड़ा बेमेल
रहा.
मुंबई की परवरिश के बाद भी
न हूँ मैं पार्टी एनीमल,
मेरी प्रेरणा कोई मिली नहीं
कल्पनाओं में जिया
हूँ आज भी सिंगल.
तीसरी क्लास तक
मैं वाचमैन होना चाहता था,
फिर होना चाहता था
साइंटिस्ट
होते होते मैं इंजीनीयर हो
गया,
पर कविताएँ जस की तस
जारी रही
पहले लिखा मौसम और माहोल पे
फिर देशभक्ति खून के उबाल
पे,
दसवीं के बाद दिल धडकने लगा
लिखा मैंने प्यार पे
इजहार पे, इंकार पे, इकरार पे.
अब तक बी एच यू बनारस में
पढ़ रहा था
एम् बी ए कर रहा था,
अठारह महीनो में 280 लिखी
यहाँ
भी कविताए नहीं रुकी,
उनदिनों सुबह के पांच बजते ही
मैं मेरी कविताएँ और मेरा
कैमरा
बनारस के घाटों की तरफ चल देता थे,
जीता हूँ काशी कविता करता हूँ
फोटो भी खीच लेता हूँ
ले दे के मैं यही हूँ
अच्छा हूँ खराब हूँ
पर कवि हूँ
कविताओं से पेट नहीं भरता
इस लिए हूँ रोजी की आस में
रोटी की तलाश में
बनारस से मुंबई होते हुए
अब दिल्ली आ गए हैं
रोजी रोटी जितना भी दौडाए
कविताओं से साथ न छुटे पाए
पेट भले न भरे आत्मा तृप्त रहती है
देखना ये है सांसो के साथ
शब्दों की सरिता कब तक बहती है
: शशिप्रकाश सैनी
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