दिलबरी नहीं



ये क्या जिंदगी
है आशिकी नहीं दिलबरी नहीं

धडके दिल कोना कोना
मै सुना सारी रात रहा
बरसा प्यार फुहारों में
मै प्यासा हर बरसात रहा
ये क्या जिंदगी
है दिलबरी नहीं

मुझको ना मिला सही
ये सब्र का सिला सही
बेसब्र हू बेसब्र हू
ये बरसाते बिगोए ना
इस धडकन का कुछ होए ना
ये क्या जिंदगी
है दिलबरी नहीं

तूफाने औ बिजलियाँ
बस यही हिस्सा मिला
चाह तो थी मगर
पर इश्क मेरी कहानी नहीं
चाहतो का यही सिला मिला
बस दर्द में हिस्सा मिला
ये क्या जिंदगी
है दिलबरी नहीं

धडकन धडकन पूछ रही
ये क्या मैंने किया
ठोकर मुझे मिल रही
ये क्या मैंने किया
दिल की अपनी कह गया
बस इतना कहा
फिर क्या बुरा किया

ये क्या जिंदगी
है दिलबरी नहीं
धड़कू मै किस आश पे
कोई आश रही नहीं
ये क्या जिंदगी

: शशिप्रकाश सैनी 

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

इंसान रहने दो, वोटो में न गिनो

रानी घमंडी