है बेसब्र जिंदगी



रुकती नहीं कही ये कभी
टिक टिक टिक घड़ी हुई
धडकन की ना सुने
ना है सब्र जिंदगी
है बेसब्र जिंदगी

तिनका तिनका जोड़ रहा
मेरा भी कोना होगा
ये सपने शहर दीखता है
सच मेरा भी होना होगा
जिस के लिए जी घर था
दिल मेरा दर था
उसको चाहे राजमहल
चुटकी में जी ताजमहल
पैसे से इतना प्यार करे
पैसे के पीछे हो ली
ना है सब्र जिंदगी
है बेसब्र जिंदगी

उसके बढ़ने पे जलते
अपनी पे ना सब्र करे
मेहनत उसकी दिखती ना
बरसों तप ये पेड़ हुआ
हम बैठे नज़र लगाने को
हक मेरा था कुछ भी ना
इच्छा सब कुछ पाने को
उसकी तू माटी कर
बस मेरी तू सोना कर दे
आँख गडाए गिद्ध हुए
बेसब्र हुए कैसे
ना है सब्र जिंदगी
है बेसब्र जिंदगी

भाग बटोरा साँस नहीं
है जीने का अहसास नहीं
मै गाड़ी मोटर कार हुआ
जब नदी पड़ी मुश्किल वाली
मै पुल बन कर तैयार हुआ
क्या था मै कुछ याद नहीं
दिल धड़का पर जज्बात नहीं
इतने बदले रंग रूप
मै रोज नया किरदार हुआ
सब्र रहे इंसा रहता
बेसब्र हुआ बेसब्र रहा
ना है सब्र जिंदगी
है बेसब्र जिंदगी

: शशिप्रकाश सैनी



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