This post has been published by me as a part of the Blog-a-Ton 44 ; the forty-fourth edition of the online marathon of Bloggers; where we decide and we write. To be part of the next edition, visit and start following Blog-a-Ton . मेरा अकेलापन, मेरी खामोशी, मेरा यहाँ भी पीछा नहीं छोड़ती थी, जबकी इन ब्लागर मीटो में हँसी मजाक, गपशप, शोर शराबा सब कुछ था, शायद इसलिए की ये खामोशी मेरे अंदर थी, ऊपरी होती तो साथ छोड़ भी देती। पर इस बार कुछ ऐसा होना था, जो पहले कभी नहीं हुआ, "मैं आपको जानती हूँ, आप अमित हैं! ‘अमित की डायरी’ आप का ही ब्लाग हैं ना" इन शब्दों ने मुझे झकझोर, मुझे अकेलेपन की नींद से जगाया, मेरी खामोशी तोड़ी। पल्लवी नाम था उसका, कहती थी " You know you're my favorite poet, मैंने आपकी सारी कविताएँ पढी हैं, आप कितना अच्छा लिखते हैं । " तारीफ़ किसको अच्छी नहीं लगती, मुझे भी अच्छी लगती हैं, पर शब्दों पे मेरा ध्यान बिलकुल न था, अब चाहे आप इसे मेरी बेशर्मी कहें या कुछ और, दिमाग शब्द समझ पाता इस हालत में हम न थे, उस मोहिनी ने मुझे मंत्र मुग्ध कर रखा ...
धनयवाद विनय जी
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