चले वहां, जहाँ मोहब्बत की हवा लगे




चले वहां, जहाँ मोहब्बत की हवा लगे
इन गलियों में, घुटन होने लगे
डालियों पे घोंसले नहीं
है गिद्ध बैठे
नोचने को काटने को
कब गिरो धरा पर
गिद्ध बैठे बराबर बाटने को
पौधा पेड़ होगा नही
ये बैठे नोच खाने को
चले वहां, जहाँ मोहब्बत की हवा लगे

धूप दे, बरसात दे
कहानी प्रेम की, तभी पनपे
जब जिंदगी हालात दे
चले वहां, जहाँ मोहब्बत की हवा लगे

खुशी मेरी, उनके तन पे
साँप ना हो जाए
जलना अपने आप ना हो जाए
अपनी कहानी में अपने किरदार जिओ
दूसरी में क्यों गुसो
नायक रहो कहानी में अपनी
मेरी में खलनायक न बनो
चले वहां, जहाँ मोहब्बत की हवा लगे

धागे प्रेम के, हो मजबूत इतने
न सिकुड़े न टूटे
जिंदगी तू, जख्म दे जितने
जिंदगी हालात जो बदत्तर लगे
तेरा साथ हो साथ
वो भी बेहतर लगे
चले वहां, जहाँ मोहब्बत की हवा लगे


: शशिप्रकाश सैनी


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