आया हू जवाब दे मै खाली हाथ जाऊंगा नहीं
आया हू जवाब दे मै खाली हाथ जाऊंगा नहीं
हां नहीं तो ना दे कोई वजह मै पत्थरऊंगा नहीं
मै भी हू दिल-ए-दर्द का शिकार आदमी
किस से मिला है क्या मै बताऊंगा नहीं
जल गई मिट्टी मेरी उसने आग दी इतनी
मै पनघट पे सरो पे नज़र आऊंगा नहीं
रात धधकी तो दिन में राख मिली है
कहा दिल की चिता जली मै दिखाऊंगा नहीं
ढूंढते रहे जहां में न मिली चीज़ मोहब्बत
अफवाहों पे अब दिल का किला बनाऊंगा नहीं
: शशिप्रकाश सैनी
वाह...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया गज़ल...
अनु
bahut khoobsurat.
ReplyDeleteWah, wah wah..!
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