वक्त बता देता है चेहरों की हकीकत
वक्त बता देता है चेहरों की
हकीकत
वरना तो मिलने पे
मुस्कुराते सभी है
वक्त बुरा आईने जैसा अपने
ही दिखे
वरना तो दोस्त बन मंडराते
सभी है
वक्त पे हाथ पकडे ले चले
राह में न छोड़ दे
वरना तो उंगली उठा रास्ता
दिखाते सभी है
वक्त मरहम था बना की जख्म
मेरे भर गए
वरना तो घड़ियाली आंसू बहाते
सभी है
वक्त आग शीशा जला हीरा हीरा
रहा ‘सैनी’
वरना तो खुद को हीरा बताते
सभी है
: शशिप्रकाश सैनी
बहुत अच्छी कविता है ...
ReplyDeleteधन्यवाद मईडा जी
DeleteNice. .
ReplyDeleteLiked it, very meaningful and true:)
ReplyDeleteधन्यवाद किस्लाया जी
DeleteAwesome poetry sir.
ReplyDeleteधन्यवाद आशीष जी
Deleteआपका ब्लॉग पसंद आया....इस उम्मीद में की आगे भी ऐसे ही रचनाये पड़ने को मिलेंगी......आपको फॉलो कर रहा हूँ |
ReplyDeleteकभी फुर्सत मिले तो नाचीज़ की दहलीज़ पर भी आयें-
सराहना हेतु आभार संजय जी
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