चल छाता छोड़ चले


बच्चा हो जाए फिर से
चल छाता छोड़ चले

डर डर के ना जीना मुझकों
घुट घुट के ना जीना
बचपन फिर बन आए
चल छाता छोड़ चले

अब की हर बूंद भिगाए
कीचड़ सन कर हम आए
हम भी बरसात निभाए
चल छाता छोड़ चले
  
कितनी बरसाते खेला ना
हवा गेंद में भर लाए
बल्ला खूब नचाए
चल छाता छोड़ चले

जीवन गठरी मैली है
गमगीन हुआ है कुर्ता
रंगत बरसात बढ़ाए
चल छाता छोड़ चले

: शशिप्रकाश सैनी 

Comments

Popular posts from this blog

इंसान रहने दो, वोटो में न गिनो

रानी घमंडी

मै फिर आऊंगा