कविताओं की बैशाखियां है मेरी
शब्द अटक जाते है
मै बोल नहीं पाता
एक काव्य का सहारा हैं
दूजे दरवाजो दिल खोल नहीं पाता
कई ब्लॉगर मित्रों ने दिये
मुझे अवार्डस प्यार से
और मेरे जवाब
न इकरार से न इनकार से
न मै अवार्ड ले पाता हूँ
न आगे दे पाता हूँ
असमंजस में हूँ
जूझता हूँ मझधार से
मै अपाहिज सा हूँ
कविताओं की बैशाखियां है मेरी
रोऊ कविता हसूँ कविता
और जब कन्फेस करू
तो भी कविता
मेरी रही ये दुविधा
जब मुह खोलू
बोलू कविता
मै मंदबुद्धि कवि
: शशिप्रकाश सैनी
वाह बहुत खुब...सुन्दर रचना ... आपका कविपन आपकी रचना में भी नजर आता है...... शुभकामनाएं
ReplyDeleteधन्यवाद मईड़ा जी
Deleteधन्यवाद मईड़ा जी
DeleteShashiprakash ji main apki pustak nahi download kar paa raha hoon kaise hoga
ReplyDeleteyaha se bhi ho jayega
Deletehttp://www.scribd.com/doc/148934922/Saamarthya-Adhikaar-Mera-Nabh-Pe-Hona
बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती आभार ।
ReplyDeleteधन्यवाद राजेंद्र जी
DeletePlz Help
ReplyDeletemain apki pustak nahi download kar paa raha hoon kaise hoga
apna email id de mai apko mail kar deta hu
Deletesanjay.kumar940@gmail.com
ReplyDeleteShashiprakash ji my email.id