सब मुखौटा भीड़ है



सब मुखौटा भीड़ है
कोई चेहरा नहीं असली यहाँ


अब तक
धोखा रहा इंसान का
एक मुखौटा मुस्कान का


कुछ मुखौटे दोस्ती के
कुछ मुखौटे प्यार के
इजहार के इकरार के
इंकार के
बिकता सब कुछ यहाँ
कुछ की कीमत सिक्के
कुछ की नोट हजार के


सारी समझ दुनिया के लिए
घर के लिए कुछ नहीं
ये पहनते मुखौटा समझदारी का


हाथों में खंजर लिए चलते है
पीठ मिलने का इन्तजार बस
ये घूमते मुखौटा लगा के वफादारी का


: शशिप्रकाश सैनी 

Comments

Popular posts from this blog

खट्टी मीठी नारंगी

SHER O SHAYARI

मांगो वत्स क्या मांगते हो