हर शब्द में जज्बात है



खुले आम बताता हूँ
न ही मै शर्माता हूँ
दिल रखता हूँ
धड़कन भी
रखता हूँ जज्बात मै

कुछ समय की बात है
कविता नहीं दिल के हालात है
हर शब्द में जज्बात है

किसी पे दिल आया था
धडकनों ने भरमाया था
नहीं दबा के रखा सीने में
मैंने उसकी तरफ बढ़ाया था
दिल अब की अजमाया था

न कविता न दोहा न गजल थी
दिल था बस दिल की पहल थी
न तुकांत न बेबहर ना बाबहर
मै शब्दों से खेला नहीं इस पहर

सीधी सरल भाषा में बात बढ़ाई
जो उसको समझ न आई
हाँ पे हाँ ना हो सकी
वो मेरी दुनिया ना हो सकी

सामर्थ्य मेरी किताब में
पन्ना नंबर चालीस पे
ये कविता है लिखी हुई
उस रात की
जब पहली बार हिम्मत करी
और दिल की बात की
ना का डर हाँ से हल्का है


इस बिगड़े हालत में
जहाँ प्यार कम हवस ज्यादा
कौन जाने क्या है मन में
क्या रहा उसका इरादा
प्यार था या हवस ज्यादा


: शशिप्रकाश सैनी

Comments

Popular posts from this blog

इंसान रहने दो, वोटो में न गिनो

रानी घमंडी