कोई नहीं हमदम बताने को
न गुस्सा, न प्यार जताने को
कोई नहीं हमदम बताने को
न कोई जुल्फ उंगलियां फिराने
को
कोई नहीं हमदम बताने को
हाथ लकीरे प्यार से खाली
रही
कोई साथ नहीं, जिंदगी निभाने को
कोई नहीं हमदम बताने को
बोलूं बात करूँ
उसकी सुनूँ, अपने भी जज्बात
कहूँ
बहोत सुनना था, बहोत सुनाने
को
पर कोई नहीं हमदम बताने को
मैंने ढूंढी नहीं कोई हूर
परी
बस इस दिल ने चाहा
कोई दिल रहे
हम उसे समझे
वो हमें समझने के काबिल रहे
पर शायद उसे
किसी शहजादे का इंतज़ार था
मुझे सामने देख सकपका गई
वो भागी, न फिर आने को
कोई नहीं हमदम बताने को
ओ दुनिया आवरण के पीछे जाने
वाली
ओ दुनिया मन न झांक पाने
वाली
तेरा शहजादा मुबारक तुझको
ये तो वक्त ही बातएगा
कौन कितना निभाएगा
कौन मजधार छोड़ जाएगा
मैं अब भी मानता हूँ
कोई होगी मेरे लिए भी
वो बादल बनेगी, मुझकों
भिगाने को
बरसेगी बरसात प्यार वाली
हमदम हो जाएगी बताने को
: शशिप्रकाश सैनी
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बहुत ही सुन्दर कविता-सृजन,आभार.
ReplyDelete"स्वस्थ जीवन पर-त्वचा की देखभाल"
धन्यवाद राजेन्द्र जी
DeleteVery lovely and beautiful poem
ReplyDeleteTravel India
धन्यवाद विशाल जी
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