मै छुलु जिसे वो पत्थर हो जाता हैं
मै छुलु जिसे वो पत्थर हो जाता हैं
और दिल मेरा बिखर जाता हैं
प्यार हिस्से में मेरे कभी नहीं आता हैं
मै छुलु जिसे वो पत्थर हो जाता हैं
मेरा जुर्म क्या ये कोई नहीं बताता हैं
मै छुलु जिसे वो पत्थर हो जाता हैं
जल जाता है या पिघल जाता हैं
हाथो से मेरे इश्क फिसल जाता हैं
मै छुलु जिसे वो पत्थर हो जाता हैं
दिल मेरा रोता हैं छटपटाता हैं
दिल मेरा पत्थर नहीं हो पाता हैं
चहरे से सारी भाव भंगिमाए
मेरा स्पर्श ले जाता हैं
गम ही मेरे हिस्से आता हैं
मै छुलु जिसे वो पत्थर हो जाता हैं
: शशिप्रकाश सैनी
adbhut kavita Shashi ji,bhav vbhor ker diya aapne....
ReplyDeleteधन्यवाद इन्दु जी
Deleteatee sunder
ReplyDeleteधन्यवाद बुरहान साहब
DeleteEven with my poor Hindi, I can appreciate the touching nature of these lines. There is obviously a wealth of poetry up on your blog, and I only wish I had the proficiency in Hindi to browse through and appreciate them all. Thanks for putting this out on IB, so that I could find it.
ReplyDeletethnx dasgupta sir
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