ये कोई प्रेम गीत नहीं


ये कोई प्रेम गीत नहीं
हर मीत मनमीत नहीं
न कोई हीर न कोई राँझा
किसी के दिल में बची प्रीत नहीं
दिल के बदले मिले दिल
अब ये दुनिया के रीत नहीं

ये कोई प्रेम गीत नहीं
हर स्वर जो फूटे
उन लबो से वो संगीत नहीं
जब रातो में गिनीजाये मोहबत
ये इश्क हार हैं 
इसमें बची कोई जीत नहीं
ये कोई प्रेम गीत नहीं

: शशिप्रकाश सैनी


© 2011 shashiprakash saini,. all rights reserved
Protected by Copyscape Web Plagiarism Detection

Comments

Popular posts from this blog

इंसान रहने दो, वोटो में न गिनो

रानी घमंडी

मै फिर आऊंगा