अभी नहीं मरना है
शर्म से गिरे मस्तक को
गर्व से तनना हैं
मुझे अपना नाम अमर करना हैं
अभी नहीं मरना हैं
चुभते कंकडो को
मख्मल में बदलना हैं
टिमटिमाती लौ को
शोला सा जलना हैं
अभी नहीं मरना हैं
जब हार मानी ही नहीं
तो अंतिम कोई हार नहीं
मुझे जीत में उभरना हैं
अभी नहीं मरना हैं
रेंग कर या दौड कर
अभी आगे बढ़ना हैं
अभी बहोत चलना हैं
अभी नहीं मरना हैं
:शशिप्रकाश सैनी
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