नज़रो से गिर गए




उसकी चाहतो पे ऐसे झुके थे हम
मालूम न पड़ा कब अपनी नज़रो से गिर गए
तेरी बज़्म में दुनिया से दगा की
तेरी ख़ुशी को अपना समझा
गम को तेरे दिल में जगह दी
पर्दा था तेरे प्यार का जब गिरा वो
हम नज़रो से गिर गए


न बची दोस्ती न दुश्मनी रही

दोस्तों से दगा की और दुश्मनी निभाई न गयी
मालूम ये पड़ा इश्क उसका बदगुमान था
चलते हम अब नकाब में
कही रास्ते में कोई आइना न मिले
सूरत से अपनी शर्मिंदगी न हो

: शशिप्रकाश सैनी


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