हमारे महामना


गुणों की खान कहूँ
या ऊँचा आसमान कहूँ
मन के भाव गहरे
सिर्फ समस्याओं पे बाते न की
कागजो से परे
उतरे जमीन पे समाधान किया
ईट दर ईट जोड़, खड़ा मकान किया


भाव शब्द आकार ले
उपजे कितने छंद
 राधिका रानी पहली कविता
कवि नाम मकरंद


शिक्षा का मंदिर, ज्ञान की गंगा
बोना था इन्हें बीज
निज हित त्याग, तपस्या की
देश भ्रमण कर आए
एक करोड़ चौंतीस लाख
दान में पैसा लाए
भिखमंगों के सम्राट कहाए


कालाराम प्रकरण याद दिलाता
महामना के मन में जाती भेद न आता
उच न कुल कोई निचा हैं
एक ही घर के सब बेटे
सारा जगत समूचा हैं


स्वतन्त्रता सेनानी, दूरदृष्टा
शिक्षाविद, सुधारक
शब्द कम पड़ते बताने को
महामना की गाथा सुनाने को


हमारे महामना
सैकड़ों जिंदगियों की कल्पना अधूरी
आपके बिना
जन्मदिवस पर नमन करू
मैं कलम छोटी सी


: शशिप्रकाश सैनी



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