बांहों में तुम
शब्द मैं जुटाता रहा,
भाव लापाया नहीं.
तुम्हे महसूस करना,
छूना तुम्हे,
मेरी कल्पना से परे.
दीवार, किवाड़, पर्दों में,
तुम्हारा अक्श ढूंढा.
दिल की कराह सुनी मैंने,
आज फिर एक रात,
तुम्हारे, बिना जी मैंने.
और बर्दाश्त होता नहीं,
पत्थर,
कहने लगे हैं! लोग मुझे.
मेरी धड़कने,
तुम ले गई जब से.
मैं अधुरा कवि,
मांगता बस यहीं,
अधरों पे मुस्कान,
बांहों में तुम,
और थोड़ी सी जिंदगी.
: शशिप्रकाश सैनी
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दिल में उतारते भाव ...
ReplyDeleteनव वर्ष की मंगल कामनाएं ..
धन्यवाद दिगम्बर जी
Deleteआपको भी नव वर्ष की बधाई
बेहतरीन अभिव्यक्ति...
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