मंगनी की साइकिल




नमस्ते मैं राम प्यारी, अरे ऊ ठठरियां गाँव के बल्लू यादव हैं ना, उनकी साइकिल हूँ | यहाँ क्या कर रही हूँ ? जिला अस्पताल पे ! ऊ धिनू लोहार की औरत पेट से हैं ना, वहीँ धिनू ले के आए हैं हमे यहाँ, अभी अंदर गए हैं अकेली खड़ी थी सोचा आप से थोड़ा बतियाँ लूँ |


ऊ का हैं की, बल्लू भईया के साथ सुबह दूध पहुचानें के बाद कौनों खास काम नहीं रहता हमकों, बल्लू भईया भी सज्जन आदमी किसीको माना नहीं कर पाते हैं | वैसे हमारे गाँव में तीन चार साइकिले और हैं, पर कोई दे तब ना, हम ही दौडती रहती हैं सबके साथ, चाहें केहुका इम्तेहान का नतीजा आना हो या केहुकी टरेन छुटती हो, अभी कल ही तो दौड़ी थी मटरू काका बीमार थे उनको लेके सदर अस्पताल | सही समझे ! हम ठठरियां गाँव का सार्वजनिक परिवहन हैं यानी मंगनी की साइकिल | बस कोई संकट में हो तो हमे ही याद किया जाता हैं, बहुत रुतबा हैं हमारा ठठरियां गाँव में |


अरे देखो धिनू भईया आ रहे हैं, मुह काहे लटका हुआ हैं इनका, जरा पूछो तो जच्चा बच्चा ठीक हैं ना ! क्या लड़की हुई हैं, अरे सुनो सब लोग धिनू भईया के यहाँ लक्ष्मी हुई हैं, हम तो उसे लाडो बुलाएंगे और हाँ नयी चेन लुंगी पुरानी बहुत परेशान करती हैं कोई जरा जोर लगा दे झट उतर जाती हैं, इतना हक बनता हैं मेरा, कुछ गलत कहूँ तो कहो |


क्या धिनू भईया लड़की होने से दुखी हैं, कोई समझाए उन्हें, ऊ जमाना लद गया जब लड़कियां बोझ मानी जाती थी, आज लड़कियां डॉक्टर हैं, इंजीनियर हैं, पुलिस और सेना में हैं लड़कियां, कहा नहीं हैं लड़कियां, और तो और आज अंतरिक्ष में जा रही हैं कल चाँद पे जाएँगी, कौन जानता कल को हमारी ही लाडो चाँद पे जाएँ !


ई का हैं धिनू भईया लक्ष्मी हुई हैं और तुम मातम माना रहे हो, चलो उठो खुशी मनाओ हमारे दुख हरने आई हैं लाडो | लाडो को खूब पढाना हमारी डंडी पे बिठा के स्कूल छोड़ने और लेने जाना, मेला दिखाने भी चलेंगे इसे, शहर के कॉलेज तक छोड़ने जाएंगें | बहुत बड़ा अफसर बनाएँगे अपनी लाडो को, नीली बत्ती की मोटर में आएगी हमारे गाँव, देखाना तब हमारे गाँव में भी अस्पताल होगा बात बात पे सदर अस्पताल न भागना पड़ेगा, देखना सबके घर बिजली होगी, कोई मंगनी की साइकिल का मोहताज ना होगा |


मुस्कुराओ, इज्जत दो हमारी लाडो को, भाग्य पलटने आई हैं ठठरियां गाँव का यह |


: शशिप्रकाश सैनी 

//मेरा पहला काव्य संग्रह
सामर्थ्य
यहाँ Free ebook में उपलब्ध 
 

Comments

Popular posts from this blog

इंसान रहने दो, वोटो में न गिनो

रानी घमंडी