शुक्रिया सचिन





हमारे वक़्त में उगा था सूरज कभी, 
उसकी चकाचौंध हमने आँखों से देखी. 
देखा है उसे मैंदान में गरजते, 
बल्ले से उसके चौके-छक्के बरसते,
रनों के पहाड़ पे चढ़ते. 
शतको का अम्बार लगा, 
करोड़ों दिलो में कर जगह 
क्रिकेट का खुदा हुआ. 


लिटिल मास्टर, 
मास्टर ब्लास्टर, 
उस्तादों के उस्ताद, 
इस वक़्त में जन्म ले,
जो आपने हम पे अहसान किया 
तहे दिल से करते हैं हम शुक्रिया. 


‘सचिन’, इस नाम को 
सुनते ही आता हैं ख्याल 
सचिन यानी कड़ी मेहनत, 
सचिन भरोसे की छत, 
सचिन शिखर, 
सचिन सज्जन. 
नम आँखों से करते हैं नमन. 


डूबता सूरज कोई तुम्हे कह नहीं सकता, 
उजाला ये आँखों से कभी ढह नहीं सकता. 
मैदान भले छोड़ो, हम दिल छोड़ने न देंगे, 
दूसरा अब इस दिल में कोई रह नहीं सकता.


: शशिप्रकाश सैनी


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