कुछ नया होगा तो जीत होगी


अँधेरा हैं? 
उजाला हैं? 
दामन में मेरे क्या हैं?
मैं कोई दावा नहीं करता !
जलना गर नसीब मेरा, तो जलना पड़ेगा |


अपनी बूंदों से न बुझाओ मुझे
जलने से मेरे होता उजाला, तो उजाले होने दो |


इस किनारे से डर लगने लगा हमको 
रोको ना मुझे, लहरों के हवाले होने दो |


कुछ नया होगा तो जीत होगी 
हार से तो अपना रिश्ता पुराना हैं |


: शशिप्रकाश सैनी


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