झमाझम बरसात हमारी
घर से लगती प्यारी
झमाझम बरसात हमारी
खेल खिलौने बूदें हो
होठो पे मुस्कान चढ़े
अखियाँ मूंदे मूंदे हो
छप से मारू छप्कारी
मुझको लगती प्यारी
आँगन में बरसात हमारी
अब जो जाना दफ्तर हो
कुछ पल तुम आराम करो
दिन को न तुम शाम करो
न बात जरा ये माने
गरज गरज के बरसी है
बिगड़ बिगड़ के बरसी है
बस का रास्ता जाम हुआ
ट्रैक भरा है पानी
लोकल जरा न हिलती
जब बरसात करे मनमानी
दफ्तर को होती है देरी
थोड़ा रुक जा, मान मेरी
मुश्किल कर आसान मेरी
घर में प्यार मुनासिब था
हर पड़े पोखर वाकिफ था
दफ्तर में रोजी रोटी है
इच्छाएँ छोटी छोटी है
मेहनत से साकार करे
पंख उड़ाएं हवा भरे
इतनी कड़कोगी
बरसात करोगी तुम
तो उड़ना कैसे होगा
थाम रे बिजली
गरज नहीं
बूदें हलके हलके ही लाना
मुसलाधार न हो जाना
ऐसा तो मैं कहता ना
कि तेरे बिन जीती दुनिया
न इतना ज्यादा बाढ़ बनो
न इनता कम सुखा हो लो
बरस
मगर तू हौले हौले बरस
मगर तू हौले हौले बरस
: शशिप्रकाश सैनी
एक दम दिल से निकली बेहतरीन
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