कविताओं की बैशाखियां है मेरी
शब्द अटक जाते है मै बोल नहीं पाता एक काव्य का सहारा हैं दूजे दरवाजो दिल खोल नहीं पाता कई ब्लॉगर मित्रों ने दिये मुझे अवार्डस प्यार से और मेरे जवाब न इकरार से न इनकार से न मै अवार्ड ले पाता हूँ न आगे दे पाता हूँ असमंजस में हूँ जूझता हूँ मझधार से मै अपाहिज सा हूँ कविताओं की बैशाखियां है मेरी रोऊ कविता हसूँ कविता और जब कन्फेस करू तो भी कविता मेरी रही ये दुविधा जब मुह खोलू बोलू कविता मै मंदबुद्धि कवि : शशिप्रकाश सैनी