तलाशे आँख यूँ ऐसा नज़ारा फिर कहा
तलाशे आँख यूँ ऐसा नज़ारा
फिर कहा
धड़कना भूला दिल ये हो
दुबारा फिर कहा
इनको देखे उनको देखे खूब
दोनों ही थी
हुस्न की जादूगरी दोष हमारा
फिर कहा
रुक जा की सांसे थाम ले ले
वक्त का इनाम ले
जन्नत जमी पे हूरें यूँ देती
इशारा फिर कहा
जब जमी पे ये चमके रौशनी
इंतनी करे
अस्मा पे नजर क्या दीखता
सितारा फिर कहा
झील आँखों की मिली डूबना गर
मुमकिन करो
डूबना तो शौक है अब मुझकों
किनारा फिर कहा
कलम मेरी कहे और कैमरा भी
कहने लगे “सैनी”
चुप रहना कोई चाहे नहीं
ख़ामोशी गवारा फिर कहा
: शशिप्रकाश सैनी
bahut dino baad aapke blog mei aana hua... par aapki ye gazal bhi padhkar utna hi maza aaya... bahut khoob...
ReplyDeleteसराहना हेतु आभार पूजा जी
Deletebahut khoob, Saini ji, Umda ghazal!
ReplyDeleteसराहना हेतु आभार मीनाक्षी जी
DeleteI've nominated you for the Liebster Award. Keep writing such wonderful poems! Here's the link to your award and its rules:
ReplyDeletehttp://poemsbychhavivatwani.blogspot.in/2013/02/the-liebster-award.html