सामर्थ्य- अधिकार मेरा नभ पे होना
मेरा पहला काव्य संग्रह
सामर्थ्य
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उतार पे चढ़ाव पे, खड़ी थी हर पड़ाव पे
बरसी बरसात तो छाता हो गई
रोया मै तो रुमाल
सब मेरी माँ का कमाल
पिता के शौक सारे
धूल खाते रहे बिचारे
धूल जब भी झाड़ी
कभी हुआ वाकमैन
कभी हुआ कैमरा
जो भी कभी जिद की
झट हो गई पूरी
सब मेरे पिता की जादूगरी
ये काव्य संग्रह
समर्पित उनको
कहता हूँ मै परिवार जिनको
मम्मी पापा बहनों बिना
जीवन व्यर्थ हैं
मेरा परिवार मेरा सामर्थ्य हैं
: शशिप्रकाश सैनी
Hearty congrats, Shashi!
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