अपनी गलतियों का भोझ आप ही ढोता हूँ


अपनी गलतियों का भोझ आप ही ढोता हूँ
गंगा खुद मैली हैं मै वहा पाप नही धोता हूँ

पाप धोने के लिए बहोत हैं आंख के आँसू
रात रो अंतर्मन पश्चाताप से ही भिगोता हूँ

हम इंसानों ने कर दी गंगा इतनी मैली
की गंगा माँ विलाप रही मै भी रोता हूँ

एक दिन रूठ के चली जाएगी गंगा
अनर्थ का बीज कुछ तुम बोते हो कुछ मै बोता हूँ

सिर्फ लिखता हैं कुछ करता नहीं "सैनी"
जहा माँ डूबती हैं मै स्याही में बस कलम डूबोता हूँ


: शशिप्रकाश सैनी




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