ये ख़ासियत रही उस मुलाक़ात की

ये ख़ासियत रही उस मुलाक़ात की
जुबा कुछ कह न सकी आँखों ने सब बात की

ये दुनिया हैं सब पैसे से चलते हैं
खबर लेता नहीं कोई बिगड़े हालात की

जो करते हैं लड़कियों पे छीटा-कसी
न जाने किस घर के हैं उपज हैं किस ख़यालात की

हमसे रूठी हैं यूँ बात भी करती नहीं
नाराज़गी हैं न जाने किस रात की

किस गम में भीगी हैं छत की सीढ़ियां "सैनी" 
किसके जज़्बात छलके किस आंख ने इतनी बरसात की

: शशिप्रकाश सैनी


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Comments

  1. ये ख़ासियत रही उस मुलाक़ात की
    जुबा कुछ कह न सकी आँखों ने सब बात की
    awesome,awesome,awesome lines......

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  2. bahut khoob sir
    ummdaa kavita

    http://drivingwithpen.blogspot.com/

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