मैं चलने के लिए बना था मैं उड़ न सका
रुकना साँस लेना मेरी ज़रूरत थी
जब भी मैं रुका
दुनिया ने कह दिया, मैं पीछें रह गया
मैं चलने के लिए बना था
वो कहते रहे, मैं उड़ न सका
विचार बीज थे
मैं मिट्टी था
दुनिया से अलग सोचता
मैं मिट्टी था
बारिश की बूदों पड़े तो मैं खुशबू
सूरज की रोशनी में जादू
कि विचारों में जिंदगी भर दू
उपजाऊ था
पर था तो मैं मिट्टी ही
कइयों ने समझाया
सोना होना ज़रुरी है
मिट्टी का नहीं है मोल
सोना है अनमोल
मुझें खलिहानों में होना था
बारिश धुप में भिगोना था
पर भट्टी में जलाया गया मुझें
कि लोगो की चाह में सोना था
पर मैं तो मिट्टी था
मुझें मिट्टी ही होना था
मैं चलने के लिए बना था
मैं उड़ न सका
क्या सोना होना इतना ज़रुरी है
क्या सोना फसल बनेगा
क्या सोना पेट भरेगा
क्या सोना आसमान से बरसेगा
और बीजो में जीवन भरेगा
सोना कीमती है
पर मैं भी हूँ अनमोल
पर मुझें इतना तपाया गया
कि मैं मिट्टी भी न रह सका
विचार मेरे जल गए
नसों में लड़ने की कूबत थी
सब भाप बन निकल गए
मैं चलने के लिए बना था
मैं उड़ न सका
सासे लेना धडकना
दुनिया के रंग रंगना चहकना
ये मेरी ताकत थी
पर उसे समझ ना आया
जब भी तोला मुझें
उसने सोने के सिक्को से
हमेशा कम पाया
मैं चलने के लिए बना था
मैं उड़ न सका
Wow...
ReplyDeleteBrilliant composition... :-)
धन्यवाद बरुण जी
ReplyDeleteSpellbound! There is magic in your words, really :)
ReplyDeleteSone ke pichte bhaagte bhaagte, duniya ne mitti ka mol bhula diya,
Sona to hath laga nahi, mitti ko bhi ganva diya.
*sone ke piche
Deleteतारीफ के लिए धन्यवाद आकांक्षा जी
Deleteआप ने ये कविता पढ़ी टिप्पड़ी की दिल को बहुत ख़ुशी मिली
मेरी ऐसी कुछ रचनाए है जो मेरी ही कविताओ से दब गयी है
और मै चाहता हू लोग उन्हें पढ़े
simply awesome shashi...
ReplyDeleteGood one.. keep it up buddy .. :)
ReplyDeleteधन्यवाद हिमांशु जी
Deleteकिस खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया पढते ही।
ReplyDeleteचलना जरूरी नहीं उड़ना जरूरी है।
ReplyDeleteमित्र आप मेरे भाव नहीं समझे
Deleteखग को बोलू तैर जरा
कछुए को बोलू उड़ जा
yes, u can't judge a fish by it's ability to fly in the air.
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteThis is some class.. I would be following you for more amazing stuff..
ReplyDeleteI kind of like your thought process..
Happy Life!
सराहना हेतु आभार अर्पित जी
Deleteविचार बीज थे
ReplyDeleteमैं मिट्टी था
दुनिया से अलग सोचता
मैं मिट्टी था... amazing Shahsi Ji... Brilliant Composition...!!!
धन्यवाद उत्कर्ष जी
Deletea class of writing which is very rarely seen now a days... this poem has in depth meaning which can be felt by heart..
ReplyDeleteapki kavitaon ko padhna saubhagya ki baat hai.. garv hai mujhe ki main apki kavitaon ko padhta hun...
धन्यवाद आशीष जी
Deleteसत्य, सार्थक!
ReplyDeleteकाबिलियत हम सब में अलग अलग है पर दुनिया हर पहलु पर देखती नही, एक ढर्रे पर नापना ठीक नही..
आप विशेष है आपकी रचनाओं में. सरस्वती आपके हमेशा साथ रहे.