हूँ दिया
हूँ दिया
की मै दुनिया को उजाला देता
रात भर जलता
सवेरे को सहारा देता
औरो के लिए
खुद को जला देता
रोशनी मेरा धर्म
अंधेरे से लड़ना कर्म
जब भी हो ज़रूरत
कतरा कतरा मै जला देता
हूँ दिया
की मै दुनिया को उजाला देता
सपनो को हवा देता
हौसले बढ़ा देता
और फासले घटा देता
जो चहक जगाता
जो महक पास लाता
उन आशियानों को बस छुने भर से
हूँ जला देता
की दिया हूँ
दुनिया को मै उजाला देता
और घर अपना खुद ही जला देता
अरमा उम्मीदे और प्यार
सब मेरे लिए पाप हैं
दिया होने का यही अभिशाप हैं
मोहब्बत को पर तो लगता
पर पास आ जाये तो झुलसता
आखिर उनको भी राख
हूँ मै बनाता
की दिया हूँ
दुनिया को मै उजाला देता
दिया हूँ
भुझने पे सिर्फ धुआ देता
और रोशनी को दुआ देता
जब सूरज छुप जाएगा
फिर कोई दिया आएगा
खुद जलेगा और दुनिया को उजाला देगा
की दिया हूँ
दुनिया को मै उजाला देता
: शशिप्रकाश सैनी
let the light may glow eternally !
ReplyDeletenice poem :)
DEEPAK