ये जिंदगी है क्या
जब पैसो के पहाड़ ही दिखे
फूल की घाटियां न दिखे
अब नहीं मै तितलिया ढूढता
ये जिंदगी हैं क्या
मै खुद से पूछता
ये जिंदगी हैं क्या
बस दिन भर दौड़ता
हूँ तन से मै थका
मन भी हैं थका
बन गया हूँ मै धोबी का गधा
ये जिंदगी हैं क्या
मै खुद से पूछता
ये जिंदगी हैं क्या
किसी भी फल पे
नहीं लगाता निशाना
सब पैसो से तोलता
रिश्तों में भी नफा नुकशा ही देखता
ये जिंदगी हैं क्या
मै खुद से पूछता
ये जिंदगी हैं क्या
College canteen
में भुखड़ था बड़ा
प्लेटो पे था मै टुटता
अब 5 star की seat
और खाली हैं जगह
ऐ दोस्त आ के बैठा जा
ये जिंदगी हैं क्या
मै खुद से पूछता
ये जिंदगी हैं क्या
किस्मत बनाने के लिए
मै इतना भागा
प्यार रूठा हैं पड़ा
घर पीछे रह गया
ये जिंदगी हैं क्या
मै खुद से पूछता
ये जिंदगी हैं क्या
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