दुआ लाया हूँ



तोहफे नहीं लाया हूँ
मै बस दुआ लाया हूँ
कड़कती धुप में बचा सके
ऐसी बदलियाँ लाया हूँ
अगर राह के कंकड न हटा सकू
चलेंगे नंगे पैर की मै अपने चप्पल छुपा आया हूँ


जाम कोई भी मेरे लबो पे आता नहीं कभी
पर मै तेरे लिए जिंदगी का नशा लाया हूँ
मै कवी हूँ कोई महल नहीं ला सकता हूँ
खुशी मै सिर्फ शब्दों में जता सकता हूँ


स्कूल की दीवारे लान्गते कलंदर थे
सिनेमा की सीटों के जब सिकंदर थे
मै उन दिनो की सदा लाया हूँ
तोहफे नहीं लाया हूँ
मै बस दुआ लाया हूँ

: शशिप्रकाश सैनी




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Comments

  1. behtareen sirji.. kitni hi yaadein taazaa kar gai.. :)

    //मै कवी हू कोई महल नहीं ला सकता हू
    खुशी मै सिर्फ शब्दों में जता सकता हू

    //स्कूल की दीवारे लान्गते कलंदर थे
    सिनेमा की सीटों के जब सिकंदर थे
    मै उन दिनो की सदा लाया हू

    waah.. :)

    kabhi samay mile to mere blog par bhi aaiyega..
    palchhin-aditya.blogspot.com

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