सामर्थ्य EDITED
मेरी हद क्या हैं
मेरी उड़ान क्या
जब उड़ना चाहू
सरहद है क्या
पंखो के हद में हैं
पूरा आसमान
पानी तक पे भी
छोड देता हूँ निशान
रीड मेरी सीधी हैं
झुकना नहीं आता
हर दर पे मै
सर नहीं झुकाता
अपनी हैं सरते
मेरे अपने उसूल
सामर्थ्य मेरी ताकत हैं
और मुझे जीना कुबूल
इबादत से मोहब्बत
मोहब्बत है इबादत
रिश्ते निभाता हूँ साफगोई से
ये मेरी आदत
गिर के उठने की हैं लत
ये मेरा सामर्थ्य
: शशिप्रकाश सैनी
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