तेरा अक्स मेरे अक्स से कितना मिलता है
तेरा अक्स मेरे अक्स से कितना मिलता हैं
जो आइने हमने बनाए हैं वो अलग बात कहे
पर उसकी तस्वीर में तुभी मुझसा दीखता हैं
तेरा अक्स मेरे अक्स से कितना मिलता हैं
वो अपने नियम शख्स दर शख्स नहीं बदलता हैं
उसके तराजू में सब एकसा तुलता हैं
भेद करे तो करे कैसे वो
न तो उसको तन दीखता हैं
न धन दीखता हैं
उसके दर्पण में बस मन दीखता हैं
तेरा अक्स मेरे अक्स से कितना मिलता हैं
:शशिप्रकाश सैनी
read u after a long time..bahut khoob likha aap ne..v beautiful lines indeed
ReplyDeleteधन्यवाद अल्का जी
DeleteHello It's Nice
ReplyDeleteधन्यवाद विनय जी
Deletetere hi pratibimb liye ,
Deletemain nikla tha path parr nirbhay