जुल्फों में दो जगह
ना, खंजर की तरह
सीने में गडा
हाँ का मरहम दे
दे जीने की वजह
तो मैं चला आऊँ
मेरे भेजे गुलाबो को
जुल्फों में दो जगह
तो मैं चला आऊँ
रातों से किनारा करू
तुम बनो सुबह
तो मैं चला आऊँ
: शशिप्रकाश सैनी
//मेरा पहला काव्य संग्रह
सामर्थ्य
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ये सच मे ही ऐसा होता है।
ReplyDeleteजी जनाब
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