मेरा चिलम है भगवान
गम को धुआ बना ले
चल चिलम उठा ले
ये सुट्टा बड़ा है
झुट्टा
न आग भुझाए
सुट्टा
दर्द कराह मिटा
ले
चल चिलम उठा ले
वो पीए तो खून
पीए
ले इंसानों की
जान
रंग रूप पे अपनी
देखो
करती है अभिमान
ठोकर मारे दिल
तोड़े
देता जिसको रंग
रूप
थोड़ा दिल भी दे
भगवान
जब सुनता ना मेरी
तू
तू काहे का भगवान
मेरा दर्द मिटाए
जो
मेरा चिलम है
भगवान
दारू बोतल झुट्टा
सुट्टा
मेरा चिलम है
भगवान
कश कश में धुआँ
करा ले
जीवन की सारी
कशमकश
पूजे इसको शाम
सुबह
पूजे इसको रात
न पूछे चिलम धर्म
कही
न पूछे चिलम जात
बस थोड़ा सा सुनगा
ले
फिर धुआँ लगा ले
जो नब्स जरा सी
धर ले
कष्ट ये सारे हर
ले
करते है बदनाम
इसे
बेगैरत सुबह शाम
इसे
जीना हुआ आसान
जब से चिलम है
भगवान
: शशिप्रकाश सैनी
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ReplyDeleteIt reminded of 'Madhushaala'. well written!!
ReplyDeletesundar kavita
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